Jul 14, 2010

बबल्स का खेल

कल मैंने बबल्स से खूब खेला...बार बार मम्मा से बबल्स बनवाती और उन्हें पकडती...फिर मम्मा ने बोला तुम अपने आप से बबल्स बनाओ...बहुत कोशिश करने के बाद मैंने बबल्स बनाना सीख ही लिया :) :)

   उफ़ ये बबल्स बनते ही नहीं :(

 
आखिर बबल्स बन ही गये 
बबल्स से खेलना कितना मजेदार होता है ना...
मेरा ये छोटा सा छाता आपको कैसा लगा :) 


12 comments:

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World said...

बबल्स और छाता दोनों मजेदार...क्या कहने.

Udan Tashtari said...

मजेदार और बैकग्राऊन्ड में जेली बीन्स देखकर तो खाने का मन कर गया.

माधव( Madhav) said...

very bubbly post.I also got the same machine in international trade fair. this machine is not available everywhere.

pics are very clear and beautiful as well.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत बढ़िया...मज़ा आया ना खेल में ?

abhi said...

हम्म...तो बबल्स बनाना सीख ही लिया आखिर..गुड गर्ल :)
और छाता भी बड़ा प्यारा है तुम्हारा...
फोटोज़ में भी बड़ी प्यारी लग रही है इशिता...
बहुत बहुत प्यार :)

रंजन said...

कुछ बब्बल हम को भी

प्यार..

Akshitaa (Pakhi) said...

प्यारे-प्यारे बबल्स...छाता भी शानदार.
_____________________
'पाखी की दुनिया' के एक साल पूरे

The Straight path said...

बहुत बढ़िया...
प्यार

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत-बहुत बधाई!
आपकी चर्चा तो यहाँ भी है-
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/07/2010.html

लविज़ा | Laviza said...

बबल्स तो मुझे भी अच्छे लगते हैं, पर मुझे बनाना नहीं आता :(

Chinmayee said...

बबल्स और छाता दोनों सुन्दर है ... काश मै भी वह होती तो बबल्स फोड़ने का मज़ा ही कुछ और होता !
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rashmi ravija said...

वाह स्मार्ट गर्ल..बब्बल्स भी बना लिया....और छाता तो बड़ा क्यूट है,तुम्हारी तरह.